आईआईएम बोधगया के बारे में
भारतीय प्रबंध संस्थान सन् 1947 ई. में आजादी के बाद अपनी स्थापना से भारत में प्रबंधन स्कूलिंग का आद्यप्ररूप रहा है। आईआईएम भारत में सबसे प्रतिष्ठित और संभ्रांत बी-स्कूल मानी जाती है, जो कि रटन्त विद्यार्जन और रूढ़िगत शैक्षणिक समय-सारणी की जगह व्यावहारिक अनुभव और आलोचनात्मक चिंतन पर बल देता है। आईआईएम ब्रांड के भव्य विरासत पर निर्माण करते हुए, आईआईएम बोधगया एक ऐसी संस्कृति और पाठ्यक्रम को बढ़ावा देता है, जिसका एकमात्र उद्देश्य सामाजिक दायित्व से परिपूर्ण प्रबंधकों और भावनात्मक रूप से परिपक्व नेताओं को तैयार करना है। शैक्षणिक और उद्योग विशेषज्ञों के समन्वयन में परिवर्तनशील पाठयक्रम विद्यार्थियों को नये कौशल में कुशल और विविध परिप्रेक्ष्यों के अन्वेषण के अवसर प्रदान करते हैं। परंपरागत कक्षाकक्ष सेटअप के अलावा, आईआईएम बोधगया केस अध्ययनों, उद्योग विशेषज्ञों के साथ सत्रों, सक्रिय परियोजनाओं आदि में विद्यार्थियों को सम्मिलित कर प्रायोगिक अधिगम पर ज़ोर देता है। संस्थान का सार्थक शोध पर ज़ोर इसके संकाय के एबीडीसी और स्कोपस में सूचीबद्ध सम्मानित पत्रिकाओं में प्रकाशन, प्रमाण-पत्रों और संपादितों से स्पष्ट है। छोटी-सी अवधि में, आईआईएम बोधगया ने अपने विद्यार्थियों के देश के प्रसिद्ध व्यवसाय संस्थानों में योगदान से कारपोरेट दुनिया में अपने स्थान को मजबूत किया है।
आईआईएम बोधगया अपने विद्यार्थियों के अधिगम अनुभव की समृद्धि के लिए वैश्विक मानकों और समकालीन प्रवृत्तियों के माहौल प्रदान करने के महत्व को स्वीकार करता है। परिसर में अंतर्राष्ट्रीय माहौल और सांस्कृतिक विविधिता प्रदान करने के क्रम में, संस्थान ने फ्रांस, वेनेजुएला, रसिया, मैक्सिको, इटली और द. कोरिया के कई प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सहयोग स्थापित की है जबकि दुनियाभर के कई विश्वविद्यालयों के साथ वार्ता जारी है।
ऐतिहासिक रूप से, देश का पूर्वी भाग नालंदा और विक्रमशीला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों के साथ विद्यार्जन का प्रसिद्ध स्थान रहा है, जहाँ दुनिया भर से विद्यार्थी ज्ञान की खोज में आते हैं। मुख्य बौद्धिक गंतव्य लक्ष्य होने के कारण, बोद्धगया हरेक वर्ष लाखों यात्रियों को आकर्षित करता है। ज्ञान का एक प्राचीन स्थान जो कि ज्ञान के प्रमुख मार्ग का प्रतिनिधित्व करता है, बोधगया महाबोधि मंदिर, यूनेस्को विश्व विरासत स्थल और कई अन्य उल्लेखनीय मंदिरों और मठों का गृह है। बोधगया, अवस्थित बुद्ध की प्रतिष्ठित 80 फीट की मूर्ति और इंडोसन निप्पोन मंदिर, जिसका निर्माण 1972 में किया गया और जापानी कला का एक दीर्घा है। प्रबोधन की यह भूमि आईआईएम बोधगया के लिए लिए प्रबोधित आईआईएम बनने की यात्रा में निरंतर प्रेरणा स्रोत् है।