बोधगया के बारे में
बुद्धिज्म का महाधाम, बोधगया, जहाँ राजकुमार सिद्धार्थ ने 2600 वर्ष पूर्व बोद्धिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया और बुद्ध हुए (जाग्रत)। तीर्थस्थल के रूप में, बौद्धिस्टों के लिए मंदिरों का यह शहर वही स्थान रखता है जो स्थान मुस्लिमों के लिए मक्का रखता है। बोधगया गया से 13 कि.मी दक्षिण फल्गु नदी के किनारे स्थित है। बोधगया के केंद्र में, 55 मीटर की गगनचुंबी ऊंचाई की विशिष्ट महाबोधि मंदिर अवस्थित है। मंदिर के अंदर, एक कक्ष में बुद्ध की प्रकाशमान मूर्ति है। मंदिर के पीछे पश्चिम की तरफ विशाल बोधि वृक्ष अवस्थित है जिसके नीचे बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ था।
बोधगया में, बौद्धिष्ठ धर्म माननेवाले लगभग सभी देशों के अपने मठ हैं – भूटान, चीन, जापान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, कंबोडिया, थाईलैंड आदि। इसके अलावा ख्यातिप्राप्त भारतीय बुद्धिज्म के भी मठ हैं। ये सभी महाबोधि मंदिर से कुछ कदम की दूरी पर हैं। सभी मंदिर के अपनी विशिष्ट स्थापत्य शैली है। प्रत्येक शैलानियों को भिन्न-भिन्न बुद्धिष्ठ संस्कृतियों और समझने और स्थापत्य शैलियों की तुलना करने का अनूठा अवसर प्रदान करता है। शांत इंडोसन निप्पोनजी मंदिर पास में अवस्थित चमक-दमक से लैस भुटान मठ के बीच तुलनात्मक अध्ययन के अवसर प्रदान करते हैं।
सभी आधुनिक मठों में सबसे प्रभावी तिब्बतन बुद्धिज्म के करमापा विद्यालय के टेरेगड़ मठ है। जैसे ही आप यहां प्रवेश करेंगे तिब्बतन सजावटी कला की भव्यता आपको विस्मित कर देगी। इससे लगा हुआ थाई मंदिर, इसके मेहराबदार छत से लेकर रमणीक बगीचों के सुहाने पत्ते चित्त को आकर्षित कर देता है। यहाँ सुबह और शाम को ध्यान सत्रों का आयोजन किया जाता है। पीतल के ड्रेगन दरवाजा युक्त तिब्बतन करमा मंदिर, विशाल प्रार्थना चक्र सज्जित नमग्याल मठ सहित अन्य मठ सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुले रहते हैं। बोधगया प्रत्येक वर्ष दुनियाभर से हजारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, जो कि प्रार्थना, अध्ययन और ध्यान के लिए आते हैं। तीर्थयात्री यहां ध्यान की तकनीकों के अभ्यास या बुद्धिष्ठ तकनीकों या प्राचीन जन और बुद्ध की भाषा पालि सीखने के लिए एक से अधिक सप्ताह, यहां तक कि कई महीने बीताते हैं।